जनरल बिपिनसिंह रावत भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे। उन्होंने 1 जनवरी 2020 को रक्षा प्रमुख के पद का भार ग्रहण किया। बिपिनसिंह रावत रक्षा प्रमुख से पूर्व वो भारतीय थल सेनाध्यक्ष के पद पर 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक पर रह चुके थे। 8 दिसम्बर 2021 को, एक हैलिकॉप्टर दुर्घटना में, 63 वर्ष की आयु में जनरल रावत का निधन हो गया। उन्होंने भारतीय सेना में एक ऐतिहासिक करियर बनाया और अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया। इस जीवनी में, हम जनरल बिपिन रावत के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं, उनके करियर की प्रमुख मील के पत्थरों और उनके योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करेंगे।
जनरल बिपिनसिंह रावत का प्रारंभिक जीवन
बिपिनसिंह रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत खुद एक लेफ्टिनेंट जनरल थे। जनरल रावत की शुरूआती शिक्षा देहरादून के कैंबरीन हॉल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। बिपिनसिंह रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त कि और यहाँ उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उनको सोर्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। फिर वे उच्च रक्षा की शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने फ़ोर्ट लेवेनवर्थ, कन्सा, स्थित यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड एंड जनरल स्टाफ़ कॉलेज से भी उपाधि ली।
जनरल बिपिनसिंह रावत का करियर
जनरल रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने यह बटालियन 1978 में ज्वाइन की। उनकी पहली पोस्टिंग मिजोरम में हुई और उन्होंने इस बटालियन का नेतृत्व भी किया। उनकी बटालियन को उत्तर पूर्व की सर्वश्रेष्ठ बटालियन भी चुना गया था। आर्मी में काम करते हुए उन्होंने कई बटालियन के लिए काम किया, जहां उन्हें अलग-अलग जगहों की सुरक्षा नीति और युद्ध नीति का अनुभव मिला।
उन्होंने कश्मीर घाटी में ऑपरेशन को अंजाम देने वाली 19 इन्फैंट्री डिवीजन के साथ काम करते हुए कश्मीर की सुरक्षा ढांचा को दुरुस्त किया। इसके अलावा उन्होंने आर्मी के लिए महत्वपूर्ण विभागों में काफी योगदान दिया। बिपिन रोवत को कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल औऱ फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी जिम्मेदारी दी जा चुकी है। बिपिन रावत ने एक लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पे पुणे के दक्षिणी सेना की कमान सभालने को मिली।
31 दिसंबर 2016 को भारत सरकार द्वारा बिपिन रावत को थल सेना का 27वां चीफ ऑफ स्टाफ का पदभार ग्रहण किया। वे 31 दिसंबर 2019 को सीडीएस बने और उन्होंने ने 1 जनवरी 2020 को रक्षा प्रमुख के पद का भार ग्रहण किया।
जनरल बिपिनसिंह रावत की नेतृत्व क्षमता
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में उन्होंने सेना में कई सुधर कराये। उन्होंने कई आपूर्ति और संघर्ष क्षेत्रों में अपनी सेना यात्रा की, जहां पर उन्होंने वीरता और वीरता का प्रदर्शन किया। उन्होंने विभिन्न संघर्षों के दौरान अपने सेना को प्रेरित किया और विभिन्न संगठनों और देशों के साथ समझौते करने का समर्थन किया। जनरल रावत ने विभिन्न अभियानों में अपना योगदान दिया, जिनमें कश्मीर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश शामिल थे। उन्होंने तालनिकायों को और खासकर नागरिकों को सेना से जोड़ने के लिए संघर्ष किया।
जनरल बिपिनसिंह रावत – गौरव और पुरस्कार
जनरल बिपिन रावत को देश की सेवा के लिए कई पुरुस्कार जैसे परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक आदि और भी कई पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।
निधन
सीडीएस जनरल बिपिन रावत का 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया इस हादसे में उनकी पत्नी समेत 12 अन्य लोगों ने अपनी जान गवां दी। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह इस दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचने वाले व्यक्ति थे। लेकिन कुछ दिनों बाद बेंगलुरू के सैन्य कमान अस्पताल में उनका भी निधन हो गया।
जनरल बिपिन रावत के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनरल बिपिन रावत का जीवन हमें देशभक्ति के प्रति प्रेम का संदेश देता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित किया। हमें देशभक्ति को महत्व देना और अपने देश के लिए समर्पित होना सिखाता है। जनरल रावत एक अद्वितीय नेतृत्व क्षमता के धनी थे। उन्होंने देश की सेना को दशाब्दी में ले जाने के लिए नेतृत्व किया।
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